tag:blogger.com,1999:blog-3930715264118678715.post2095333564342610949..comments2023-12-28T01:30:06.896+11:00Comments on ਸਫ਼ਰ ਸਾਂਝ : ਚਿੱਠੀ ਦੀਆਂ ਬਾਤਾਂ ਸਫ਼ਰ ਸਾਂਝhttp://www.blogger.com/profile/00000633192985801061noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3930715264118678715.post-60119657086449078872016-03-04T10:08:20.376+11:002016-03-04T10:08:20.376+11:00My sister Hardip bahot dhanvad My sister Hardip bahot dhanvad Budh singhhttps://www.blogger.com/profile/10333510604885611610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930715264118678715.post-30830226019634342672016-02-28T08:39:43.220+11:002016-02-28T08:39:43.220+11:00प्रिय हरदीप ,
सति सिरी अकाल ।
कितनी हैरानी की बात ...प्रिय हरदीप ,<br />सति सिरी अकाल ।<br />कितनी हैरानी की बात है न जब भी तुम्हारे हाइकुलोक को याद किया ।वो उपस्तिथ हो गया मैं याद ही कर रही थी कि इतने दिन हो गये कोई नई चीज हरदीप ने क्यों नहीं डाली हाइकु लोक में ।<br />और तभी तुम्हारा 'आप दे खत' नाम से सब पत्रों का एकत्रिकरण मिला पढ़ने को । सब के स्नेह भरे उद्गार पढ़कर और तेरे श्लाघायोग कार्य की प्रेरित करने वाली बातें पढ़ कर बहुत खुशी हुई ।इन्सान को , उसके कार्य करने के ज़जबे को उर्जा से भर देते हैं ऐसे प्रेरणा दायक शब्द ।तुम्हारे हिन्दी से पंजाबी में किये हाइकु अनुवाद पढ़ कर मुझे भी बहुत अच्छा लगा था ।डा सुधा गुप्ता और हिमांशु कम्बोज जी ने जो तारीफ की है । सही की है ।<br />मैं अभी पंजाबी में इतनी बात सही ढंग से नही लिख सकती सो हिंदी में लिख दी हैं ।<br />तुम्हारा यह सफर हम सब पाठकों और लेखकों को यूं ही साथ लेकर चलता रहे ।<br />नये नये मुकाम हासिल करे बस यही प्रार्थना है ईश से ।<br />तुम्हारी अपनी <br />कमला कमलाnoreply@blogger.com